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शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) संबंधी सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर NCTE से हस्तक्षेप का आग्रह, एबीआरएसएम का प्रतिनिधिमंडल एनसीटीई के अध्यक्ष से मिला


अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का एक प्रतिनिधिमंडल आज राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) के अध्यक्ष प्रो. पंकज अरोड़ा से नई दिल्ली में मिला। प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) से संबंधित सर्वोच्च न्यायालय के हालिया निर्णय (दिनांक 01 सितम्बर 2025, सिविल अपील संख्या 1385/2025) में NCTE द्वारा उचित हस्तक्षेप किए जाने का अनुरोध किया।
महासंघ ने अवगत कराया कि सभी कार्यरत शिक्षकों के लिए TET उत्तीर्ण करना अनिवार्य करने संबंधी इस निर्णय से देशभर के लगभग 20 लाख शिक्षकों की सेवा निरंतरता, पदोन्नति एवं आजीविका पर संकट उत्पन्न हो गया है।
महासंघ की महामंत्री प्रो. गीता भट्ट ने बताया कि NCTE की अधिसूचना दिनांक 23 अगस्त 2010 में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि “बच्चों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE), 2009” की धारा 2(एन) के अंतर्गत कक्षा 1 से 8 तक शिक्षक के रूप में नियुक्ति हेतु आवश्यक न्यूनतम योग्यता अधिसूचना की तिथि से प्रभावी होगी। अतः महासंघ ने यह आग्रह किया कि सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय भविष्य के लिए लागू किया जाए, न कि पूर्वव्यापी रूप से महासंघ ने यह भी कहा कि RTE अधिनियम विभिन्न राज्यों में अलग-अलग वर्षों में लागू हुआ है, इसलिए राज्यवार कट-ऑफ वर्ष निर्धारित किया जाना ही न्यायसंगत रहेगा। साथ ही, वैध योग्यता पर नियुक्त अनुभवी शिक्षकों की सेवा, वरिष्ठता एवं गरिमा की रक्षा सुनिश्चित की जाए तथा सेवा समाप्ति और पदोन्नति पर प्रतिकूल प्रभाव रोकने हेतु आवश्यक कानूनी कदम उठाए जाएँ।
प्रो. भट्ट ने कहा कि महासंघ शिक्षा की गुणवत्ता और मानकों के संरक्षण के प्रति पूर्णतः प्रतिबद्ध है, परंतु साथ ही उन शिक्षकों के अधिकारों और आत्मसम्मान की रक्षा को भी समान रूप से आवश्यक मानता है, जिन्होंने अपना जीवन इस महान सेवा को समर्पित किया है।
प्रतिनिधिमंडल में संगठन मंत्री महेन्द्र कपूर, महामंत्री प्रो. गीता भट्ट, अतिरिक्त महामंत्री मोहन पुरोहित, उपाध्यक्ष पवन मिश्रा, तेलंगाना प्रांत अध्यक्ष हनुमंत राव तथा तमिलनाडु प्रांत महामंत्री कंदस्वामी सम्मिलित रहे।



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