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शिक्षकों की मौत का मामला : चुनाव आयोग से वार्ता को राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने बताया डैमेज कंट्रोल



लखनऊ : पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में हुए पंचायत चुनाव के बाद शिक्षकों की मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है।इस मामले में बेसिक शिक्षा मंत्री के वायरल हुई वीडियो ने आग में घी का काम किया है।बेसिक शिक्षा मंत्री ने वीडियो मैसेज में स्पष्ट रूप से कहा है कि चुनाव ड्यूटी के दौरान पूरे प्रदेश में केवल तीन शिक्षकों की मौत हुई है और उन्हें ही दिए जाने वाले सभी लाभ का फायदा मिलेगा।राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने बेसिक शिक्षा मंत्री के इस बयान को हास्यास्पद बताते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है।
राष्ट्रीय महासंघ के प्रदेश संगठन मंत्री शिव शंकर सिंह ने कहा कि चुनाव ड्यूटी के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कराए जाने को लेकर आवश्यक संसाधन उपलब्ध नही कराए गए जिससे शिक्षक संक्रमित हो गए।उन्होंने कहा कि संक्रमण के कारण ही चुनाव के बाद किसी की दो दिन और किसी की चार छह या एक दो हफ्ते के बाद भी मौत हुई है।ऐसे में राज्य सरकार का यह कहना कि ड्यूटी के दौरान मौत होने पर ही लाभ दिया जाएगा,खास हास्यास्पद है।

सर्व विदित है कि कोरोना संक्रमण से हार्ट अटैक जैसा तुरंत मौत का मामला न होकर यह चार से च दिन या कई बार उससे भी ज़्यादा समय लेता है।ऐसे में चुनाव के दौरान लगे संक्रमण को ही मौत का कारण माना जाना चाहिए।शिव शंकर सिंह ने कहा कि पूरे प्रदेश में 1488 ऐसे शिक्षकों की मौत हुई है जिन्होंने चुनावी ड्यूटी की थी।इन सभी शिक्षकों को दिए जाने वाले सभी लाभ अगर नही मिलते हैं तो संगठन सड़कों पर आंदोलन से लेकर अंत में कोर्ट तक कि शरण लेगा।
उन्होंने कहा कि दिए जाने वाले आर्थिक लाभ के अलावा शिक्षकों की मृतक आश्रित कोटे से भर्ती में भी रियायत दी जाए।उन्होंने कहा कि जिन आश्रितों ने बीएड,बीटीसी या डीएलएड किया है उन्हें पांच साल के भीतर टीईटी पास कर लेने की शर्त के साथ तुरंत नौकरी दी जाए।प्रदेश संगठन मंत्री शिव शंकर सिंह ने मुख्यमंत्री के उस आश्वासन को डैमेज कंट्रोल बताया है जिसमे उन्होंने कहा है कि इस मामले को लेकर निर्वाचन आयोग से वार्ता करने का आदेश दे दिया गया है।

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