■ आशुतोष टंडन बोले, तकनीक आसान और सस्ती हो, इसके लिए सरकार कर रही है प्रयास
लखनऊ : शिक्षा संस्कृति की संवाहक है, जिसका केंद्र बिंदु शिक्षक बने। इसके लिए शिक्षक को ही सतत प्रयास करना होगा। गुरु शिष्य की परंपरा शिक्षा के बाजारीकरण के कारण तार-तार हो चुकी है। शिक्षक मूल्य परक शिक्षा के रोल मॉडल बनें। समग्र शिक्षा का गंभीर चिंतन कर पाठ्यक्रम में लागू किया जाए, जिससे सार्थक परिणाम प्राप्त हो। सम्यक सकारात्मक बदलाव के लिए शिक्षा में बदलाव जरुरी है।
★ राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के सम्मेलन में बोले अनिरुद्ध देशपांडे
★ समग्र शिक्षा का गंभीर चिंतन कर पाठ्यक्रम में लागू किया जाए
यह कहना है आरएसएस के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख प्रो. अनिरुद्ध देशपांडे का। वह सोमवार को बोरा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उप्र के सम्मलेन एवं संगोष्ठी शिक्षा, समग्र व व्यापक विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों के लिए निजी स्कूल चुनौती हैं और निजी स्कूलों में बाजारीकरण बढ़ रहा है। शिक्षा ज्ञान व्यापी की जगह अर्थव्यापी हो चुकी है, जबकि शिक्षा का मौलिक उद्देश्य मनुष्य की क्षमताओं का वर्धन करना है।
मुख्य अतिथि प्राविधिक एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन ने कहा कि तकनीक आसान और सस्ती हो। इसके लिए सरकार प्रयास कर रही है। नई तकनीक को समाज के अनुकूल बनाने के लिए प्राविधिक शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा की गुणवत्ता कैसे बढ़े, इस पर सरकार काम कर रही है। शिक्षा की गुणवत्ता और रोजगार एक दूसरे से जुडा विषय है। जब शिक्षा में गुणवत्ता होगी तो रोजगार भी आसानी से उपलब्ध हो सकेंगे। तकनीकी क्षेत्र में सरकारी संस्थाओं में शिक्षकों की भारी कमी थी, जिसे पूरा करने के लिए चयन प्रक्रिया चलाई जा रही है।
वहीं चिकित्सा के क्षेत्र में शैक्षिक गुणवत्ता बनाने के लिए वचरुअल क्लास रूम व्यवस्था चालू की गई। विशिष्ट अतिथि बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री अनुपमा जायसवाल ने शिक्षकों को अपने दायित्व के प्रति सजग रहने के लिए आगाह किया। वहीं सरकार की नीतियों की देते हुए बेहतर सुधार के लिए सुझाव आमंत्रित किए। इस अवसर पर राष्ट्रीय संगठन मंत्री महेंद्र कपूर, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री ओमपाल सिंह, प्रदेश अध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार सिंह, महामंत्री ऋ षिदेव त्रिपाठी ने भी व्यक्त किए।
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